दाग अच्छे हैं
अनन्त राम श्रीवास्तव
टीवी पर पहले एक विज्ञापन आया करता था " दाग अच्छे हैं " अब वह विज्ञापन तो टीवी पर नजर नहीं आता है पर टीवी और फिल्मों का अँधा अनुकरण करने वालों ने उस विज्ञापन की भाषा का अपनी स्टाइल में अनुकरण शुरू कर दिया।
देश की सबसे पुरानी पार्टी के युवराज ने अपनी सरकार द्वारा संसद में पारित विधेयक को सार्वजनिक रूप से फाड़ कर पार्टी के मस्तक पर एक दाग लगा दिया। पार्टी के नेताओं ने युवराज की वाहवाही करते हुए कहा " दाग अच्छे हैं " बस फिर क्या था युवराज के साथ साथ पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी दाग लगाने वाले बयान बाजी शुरू कर दी जो आज भी बदस्तूर जारी है।
दाग लगाने की परंपरा को पार्टी के प्रवक्ता ने " सत्तारूढ़ पार्टी को वोट देने वाले राक्षस हैं " कहकर परवान चढ़ाया। युवराज भी देश से बाहर जाकर अपने बेतुके बयानों से पार्टी पर दाग लगाने से नहीं चूकते। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक पर सबूत माँगने वाले दलों के गठबंधन के नेताओं ने दो कदम आगे बढ़ कर " सनातन धर्म को डेंगू और मलेरिया बताकर इसे नष्ट करने तक का बयान दे पूरे गठबंधन को ही दागदार साबित कर दिया।
ये दाग अच्छे हैं या खराब ये तो 2024 में होने वाला लोकसभा का चुनाव बतायेगा। अगर दागी बयानवीर नेताओं की सरकार बन जाती है तो हम सभी को मानना पड़ेगा कि दाग अच्छे हैं। यदि फिर से यही सरकार आ गयी तो सभी को मानना पड़ेगा कि बयानों से पार्टी पर लगे दाग खराब हैं।
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आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव