विपक्षी नेता की चिट्ठी प्रधान सेवक के नाम
अनन्त राम श्रीवास्तव
विपक्षी नेता ने प्रधान सेवक को पत्र लिख कर होली की शुभकामनायें देते हुये आगाह किया है कि यदि आपने इसी प्रकार हमारे राजनीतिक रास्ते में ईडी व सीबीआई को कांटे बिखेरने से नहीं रोका तो हम होली की कीचड़ लगाने की रस्म पूरे भर आपके साथ निभाते रहेंगे। आपके ऊपर इतना कीचड़ उछालेंगे कि आप साफ करते परेशान हो जायेंगे। जनता को आपका विकास नहीं हमारा कीचड़ नजर आयेगा।
पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में हमें मात क्या दे दी आप फूले नहीं समा रहे थे। आपको बता दें कि कभी कभी अंधे के हाथ भी बटेर लग जाती है। आप उसकी खुशी में खुश थे। इधर हमने विदेश में रहते हुये आपके चेहरे पर वो कीचड़ लगाया कि 'जी 20' मिलकर भी उसे नहीं साफ कर पायेंगे। आपको देश के लोकतंत्र पर बड़ा गर्व है हमने उस पर भी सवालिया निशान लगा दिया। अब आप सफाई देते रहो। आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि "यदि कोई झूँठ बार बार बोला जाये तो जनता उसे सच मान लेती है।" हम वही कर रहे हैं।
आप हम विपक्षी नेताओं को सीबीआई व ईडी से हम सबको डराना चाहते हो ये हमारे पूर्वजों का ही पुराना हथकण्डा है। इससे हम डरने वाले नहीं हैं। इससे हमारी विपक्षी एकता और मजबूत हो रही है। रही भ्रष्टाचार की बात तो वो हमने जनता के रक्त मिला में दिया है। ये अब शिष्टाचार बन गया है। इसे निकालने के चक्कर में आप जनता के दिलों से निकल जाओगे। हम भी यही चाहते हैं कि आप जनता के दिलों से निकल जाओ। हमारा काम आपने स्वयं आसान कर दिया है।
जनता के मूड को आप नहीं जानते। जब हमारी मरहूम दादी के सत्ता सिंहासन को जनता ने हिला दिया था तो आप क्या चीज हो ? मंहगाई और बेरोजगारी का पानी जिस दिन नाक के ऊपर चढ़ गया उसी दिन आपकी रामलीला का दि इंड हो जायेगा। उस दिन हम रिफाइंड के दिये जलायेंगे। क्योंकि देशी घी अब उपलब्ध भी नहीं है हमने देशी घी में लोगों को मिलावट करना पहले ही सिखा दिया है। वही आप नाम बदल कर "आपदा में अवसर" बता रहे हो। इसी के साथ "कुछ मीठा हो जाये" सो चाकलेट से जनता का मुँह मीठा करा देंगे।
वैसे तो हम सभी से बधाई लेते हैं किसी को बधाई देते नहीं हैं। फिर भी आपको यह न लगे कि हम बधाई देने में कंजूसी करते हैं सो हम आपको बधाई देते हुए आगाह कर रहे हैं कि हो सके तो समझौता कर लो एक बार तुम और एक बार हम बारी बारी से सत्ता सिंहासन की शोभा बढ़ाते रहें। थोड़ा लिखना और समझना बहुत।
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आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव