सहनशीलता की भी एक सीमा होती है --------
अनन्त राम श्रीवास्तव
सहनशीलता की भी एक सीमा होती है, सीमा टूट गयी तो अनहोनी होती है। समाज से लेकर राजनीतिक लोगों में सहनशीलता का स्तर अर्थात धैर्य (सीमा) अलग अलग होता है। जब भी सहनशीलता अर्थात धैर्य की सीमा टूट जाती है तो व्यक्ति जो निर्णय लेता है वह लोगों के अनुमान से अलग होता है।
द्वापर युग में जब द्रौपदी की सहनशीलता टूटी तो उसने दुर्योधन के रक्त से अपने केश (सिर के बाल) धोने का कठोर निर्णय ले लिया। कृष्ण भरी सभा में शिशुपाल से गालियाँ सुनते रहे जैसे ही गालियों की संख्या सौ हुयी श्रीकृष्ण की सहनशीलता टूट गयी और उन्होंने अपने चक्र सुदर्शन से शिशुपाल का सिर काट कर उसका बध कर दिया। द्वापर युग में सहनशीलता टूटने के ये चंद उदाहरण थे।
द्वापर युग के बाद त्रेता युग आया। त्रेता युग में भगवान श्रीराम का अवतार हुआ। श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम थे। सदैव सामाजिक मर्यादा का पालन करते रहे फिर भी वे लंका जाने के लिए समुद्र से रास्ता मांगते हुए जब तीन दिन बीत गये तो उनकी सहनशीलता टूट गयी। उन्होंने अग्नि वाण से समुद्र को सुखाने जैसा कठोर निर्णय ले लिया। उन्होंने लक्ष्मण से कहा--
विनय न मानत जलधि जल गये तीन दिन बीत
बोले राम सकोप तब भय बिन होय न प्रीति।।
लक्ष्मण बान सरासर आनू, सोखहुँ वारिध विरध कृशानू।
श्रीराम को अग्नि वाण प्रयोग नहीं करना पड़ा। समुद्र ने स्वयं आकर समुद्र पार कर लंका तक पहुँचने का रास्ता बता दिया।
ये दोनों तो भगवान के अवतार थे उनकी सहनशीलता विषम परिस्थितियों में ही टूटती थी। वर्तमान में कलयुग चल रहा है। आजादी के पूर्व जननायकों की सहनशीलता कब कब टूटी यह तो हमें मालूम नहीं, किंतु जबसे हमने होस संभाला तो 1971 भारत रत्न श्रीमती इंदिरा गांधी की सहनशीलता उस समय टूटी जब पाकिस्तान ने भारत पर हवाई आक्रमण कर दिया। उन्होंने तुरंत थल सेना अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल मानेकशॉ को आक्रमण का जवाब देने का आदेश दे दिया। परिणाम स्वरूप बाँग्लादेश का अभ्युदय हुआ।
उसके बाद पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सहनशीलता टूटी तो सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के माध्यम से आतंकवादी और उनके आकाओं को समझा दिया गया कि हमें छेड़ोगे तो हम छोड़ेंगे नहीं।
विश्व पटल पर रुस की सहनशीलता टूटी तो उसका परिणाम यूक्रेन को अभी तक भुगतना पड़ रहा है। इसी बीच आतंकवादी हमलों से इजरायल की भी सहनशीलता टूटी तो उसका परिणाम गाजा पट्टी के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। गाजा पट्टी वालों को कब तक इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा यह तो आने वाला समय अथवा सुपर पावर वाले देशों के सत्ताशीन राजनयिक बता सकते हैं। हम तो बस इतना ही कह सकते हैं।
आघात सहन करने की एक सीमा होती है
सीमा टूट गयी तो अनहोनी होती है।
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आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव