स्लोगन का करिश्मा
अनन्त राम श्रीवास्तव
मैं श्रीमती जी के साथ बाजार गया था श्रीमती जी के आग्रह पर एक फल वाले की दुकान पर पहुँचा। दुकान पर भीड़ न होने के कारण आराम से श्रीमती जी छाँट छाँट कर फल खरीदने लगी। अचानक मेरी नजर दुकानदार के पीछे लिखे स्लोगन पर पड़ी। जिसमें " आप कर्म करते रहिये अच्छा फल तो हमी आपको देंगे" लिखा हुआ था।
मैंने दुकानदार से पूँछा भइया फल तो कई प्रकार के होते हैं आप कौन सा फल हमारे कर्मो के बदले देते हो। दुकानदार ने कहा साहब हम तो पैसे के बदले खाने वाले ही फल देता हूँ। कर्मो के अनुसार तो भगवान ही सभी को फल देते है। जब यह जानते हो तो यह स्लोगन क्यों लगा रखा है। यह तो ग्रहकों को आकर्षित करने के लिये लगा रखा है। श्रीमती जी ने कहा स्लोगन लगाने के बाद बिक्री बढ़ी या नहीं। दुकानदार ने कहा मेमसाब कुछ भी नहीं।
मैंने दुकानदार से कहा स्लोगन से बिक्री नहीं बढ़ती है बिक्री बढ़ाने के मधुर व्यवहार, अच्छा माल और उचित मूल्य जरूरी होते हैं। आप ग्राहक के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करोगे तो ग्राहक तुम्हारी दुकान पर दोबारा कैसे आयेगा। दुकान में अच्छे फल नहीं होंगे तब भी ग्राहक आकर्षित नहीं होंगे। अच्छे फल होने के बाद भी अगर बहुत मंहगे होंगे तब भी बिक्री नहीं बढ़ेगी। इसलिये धंधे का वसूल है कि कम लाभ लेकर अधिक माल बेंचो और अधिक लाभ कमाओ।
श्रीमती जी घर आने पर पूँछने लगीं हमें भी बताओ फल कितने प्रकार के होते हैं। मैंने कहा खाने वाले फलों के अलावा भी कई प्रकार के फल होते हैं जैसे कर्मफल, परीक्षा फल, सीताफल, राशि फल, शेष फल, योगफल, भागफल,गुणनफल आदि। कर्मफल कर्मो के अनुसार भगवान देते हैं। परीक्षाफल बच्चों को साल भर परिश्रम करने के बाद मिलता है। सब्जियों में सीताफल होता है जिसे कुछ लोग कद्दू भी कहते हैं। आचार्य, पुरोहित अथवा पंडित जी व्यक्ति के ग्रह नक्षत्रों की गणना कर उसका राशिफल बताते हैं। गणित में विभिन्न सवालों को हल करने पर शेषफल, भागफल, योगफल, गुणनफल के रुप में परिणाम मिलते हैं।
कुछ दिनों बाद मैं श्रीमती जी के साथ बाजार गया हुआ था। संयोग से उसी दुकानदार के पास फल लेने पहुँच गया। मुझे देखते ही दुकानदार ने पहचानते हुये कहा साहब इससे अच्छे और सस्ते फल आपको और कहीं नहीं मिलेंगे। मैंने कहा ऐसा क्यों? दुकानदार बोला साहब आपने ही तो बताया था अच्छा व्यवहार, अच्छा माल और उचित दाम ही सफल व्यापारी के गुण होने चाहिए। मैने आपके बताये अनुसार काम शुरू किया तो ग्राहक भी खुश रहते हैं और हम भी। पहले अक्सर हमारा माल खराब हो जाता था जिससे नुकसान उठाना पड़ता था अब माल बचता ही नहीं रोज का रोज बिक जाता है। पहले हम ग्राहकों की राह देखा करते थे। अब ग्राहक स्वयं आ जाते हैं।
मैंने कहा यह तो अच्छी बात है। एक बात और ध्यान रखना अगर तुम्हारा परता पड़े तो बेंचना लेकिन कभी भी घटतौली मत करना। कहावत है ग्राहक भगवान समान होता है भगवान को घटतौली पसंद नहीं है। घटतौली करने वाला हमेशा घाटे में रहता है। फलवाले ने कहा साहब हमारी नियत अच्छी रहेगी तो भगवान भी खुश रहेंगे और ग्राहक भी। हम घटतौली करना पसंद नहीं करते। घटतौली करने से बरकत चली जाती है। मैं फल लेकर श्रीमती जी के साथ घर आ गया।
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