अर्थ का अनर्थ
अनन्त राम श्रीवास्तव
पहले एक ऐसी भाषा चलती थी जिसमें कुछ मात्राओं का प्रयोग नहीं किया जाता था। संभवतः उसे 'मुड़िया' भाषा कहा जाता था। सेठों और जमीदारों में पत्र लिखने का कार्य मुनीम किया करते थे। मुनीम जी ने 'चिट्ठी लिख कर भेजी कि "लाला जी अजमेर गये बड़ी बहू को भेज दो" चिट्ठी पढ़ने वाले ने मात्रायें न होने के कारण पढ़ा "लाला जी आज मर गये बड़ी बही को भेज दो"।
अब "मुड़िया भाषा चलती है कि नहीं यह तो मैं नहीं बता सकता किन्तु कुछ अधिकारी अपने बड़े अधिकारियों के आदेश को उसी प्रकार अर्थ का अनर्थ करने में जुटे हैं जैसे आपातकाल के दौरान एन डो तिवारी ने प्रदेश के नशबंदी के पाँच लाख के लक्ष्य को वाहवाही लूटने के चक्कर में बढ़ाकर पंद्रह लाख कर दिया था। इस बार बड़े साहब ने आदेश दिया कि नवरात्रि को देखते हुए आराजकतत्वों को शाँति भंग की धारा में "पाबंद" कर दिया जाये। इस पर छोटे साहब ने वाहवाही लूटने के चक्कर में नवरात्रि के दौरान दुर्गा पूजा करने वालों, रामलीला का आयोजन व मंचन करने वालों, डी जे वालों को नोटिस जारी करवा दी कि प्रत्येक व्यक्ति एक एक लाख रुपये के दो जमानतदार ले जाकर जमानत कराये तभी वह आयोजन कर सकता है।
इस पर आयोजकों का पारा आसमान पर चढ़ गया। हजारों की संख्या में लोग विरोध जताने के लिए पहुँच गये। हजारों की संख्या में प्रदर्शन करने वालों को देखकर प्रशासन बैकफुट पर आ गया और कोई कार्यवाई न करने का आश्वासन देकर फिल हाल मामला ठंडा करने का प्रयास किया। प्रशासन के मौखिक आश्वासन पर आयोजन तो शुरू हो गये किन्तु आयोजकों को यह डर सता रहा है कि प्रशासन ने बाद में इसे अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया तब वे क्या करेंगे। इस डर से आयोजकों में संसय बना हुआ है। अब देखना है कि प्रशासन अपने मौखिक पर कायम रहता है अथवा आयोजकों का संदेह सच साबित होता है। यदि आयोजकों का संदेह सच साबित होता है तो पहली बात "काठ की हांडी एक बार ही चढ़ती है उसी तरह दोबारा कोई भी प्रशासन के मौखिक आश्वासन पर विश्वास नहीं करेगा वहीं दूसरी बात दुर्गा पूजा, रामलीला के आयोजनों पर विराम लग सकता है।
इस प्रकार के आयोजनों पर विराम लगना नयी पीढ़ी में संस्कृति के प्रसार को तो रोकेगा ही राज्य सरकार और प्रशासन के प्रति भी अविश्वास पैदा करेगा जो न तो राज्य सरकार के लिए ही कोई शुभ संकेत है और न ही प्रशासन के लिए ही। मित्रो "आप बीती व जग बीती" ने आपको आइना दिखाने के साथ भविष्य की चिंता से आपको अवगत कराने का काम किया है। देखते हैं आगे आगे होता है क्या। आप सभी अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराने के साथ लाइक और शेयर करना मत भूलें।
आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव