लाग डाँट
अनन्त राम श्रीवास्तव
सुप्रसिद्ध साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद्र की लोकप्रिय कहानी "पंच परमेश्वर"के नायक अलगू चौधरी व जुम्मन शेख कीई पीढ़ियाँ गुजर गयीं किन्तु उनके बीच की लाग डाँट वैसी बदस्तूर जारी रही। दोनों पीढियों के लोग एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिये शतरंजी चालें चलते रहते। जमाना बदला तो जीवकोपार्जन के साधन भी बदल गये। दोनों नायकों के परिजनों ने व्यवसाय के साथ साथ राजनीति में भी घुसपैठ शुरू कर दी। एक ने भगवा पार्टी का दामन थामा तो दूसरी ने सगवा पार्टी को अपना माई बाप बना लिया।
पंचायत चुनाव में पंचायत की सत्ता पर काबिज होने के लिए दोनों पार्टियों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया। चुनाव परिणाम आने के बाद सधवा पार्टी ने अपना सरपंच बनाने को लेकर भगवा पार्टी का साथ छोड़कर अन्य दलों के साथ गठबंधन कर पंचायत पर काबिज हो गयी। यह बात भगवा पार्टी को कांटे की तरह चुभ गयी। कुछ समय बाद भगवा पार्टी के मूक संकेत पर सधवा पार्टी के कुछ पंचों ने बगावत कर सधवा पार्टी के सरपंच को पैदल ही नहीं किया बल्कि उसकी पहचान पर ही सवालिया निशान खड़ा कर दिया। उनके इस काम में सधवा पार्टी के शकुनी के तीखे व्यंग वाणो ने और आसान कर दिया। अब सधवा पार्टी अपनी पहचान बचाने के लिए हाँथ पैर मार रही है।
भगवा पार्टी इस टूट पर जश्न मनाने के साथ मूँछों पर ताव देकर कह रही है देखा आपकी सारी की सारी सेना खड़ी रही और हमने एक चाल से बादशाह को मात दे दी। कुछ समय पहले अन्य पार्टियों से गठबंधन कर हमें जो धोखा दिया था आज उसका बदला पूरा हो गया। उधर सधवा पार्टी के मुखिया अफसोस कर रहे हैं कि लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पायी वाला हाल हो गया। अब सरपंच का रुतबा तो गया ही अब पार्टी की पहचान बचाने के लाले पड़ गये हैं। अगर पार्टी की पहचान चली गयी तो न घर के रहेंगे न घाट के।
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आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव