एक पत्र मतदाता के नाम
अनन्त राम श्रीवास्तव
पाँच राज्यों में चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही राजनीतिक दलों की धमाचौकड़ी शुरू हो गई है। मैं सुबह सुबह चाय पी रहा था कि पड़ोसिन भाभी आ गयीं। राम जुहार के बाद हाल चाल पूँछते हुये कहा मेरे लायक कोई काम हो बताइये? वे बोली लल्ला काम तो कछू खास न है। आजकल मुये वोट माँगने वाले चैन से रहने न देवे हैं। सो तुम्ही बताओ लल्ला किसे वोट दिया जाये मेरे मुख से अचानक निकल गया--
सोच समझ मत दीजिये, दान समझ मत नाह
जो समझै मत दान है, सो बुद्धू जग माह।
भाभी बोलीं लल्ला जाको मतलब बताओ। मैंने कहा भाभी राजनीतिक दल व प्रत्याशी की सेवा भावना को देखकर ही वोट देना चाहिये।
मत का मतलब समझ कर, मत मतलब से जाय
बिन मतलब मत दिया तो आरजकता आ जाय।
भाभी अगर गलत व्यक्ति को वोट दे दिया जाये तो आराजकता व भ्रष्टाचार बढ़ जाता है। इसलिए वोट सोच समझ कर ही देना चाहिए।
गिरगिट सा रंग बदलिहैं मतदान के बाद
भोंदू के घर होंयगे कातिल सिंह आबाद।
भाभी ऐसी पार्टी या प्रत्यास को वोट कभी भी नहीँ देना चाहिए जो मतदाताओं का का किसी प्रकार का अहित करने वाली हो?
विविध प्रकार हैं दान के अन्न धन विद्या दान
लोकतंत्र हित में करें अनिवार्य मत दान।
हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था मजबूत हो इस लिये हम सभी को अपना अपना वोट अवश्य देना चाहिए। भाभी बोलीं वाह लल्ला बहुत अच्छे से समझा दिया।
मित्रो अगर आपको "आप बीती व जग बीती" का अंक कैसा लगा।अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराना मत भूलें। इसे आप फेसबुक के अतरिक्त शब्द. इन पेज पर भी पढ़ सकते हैं।
आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव