लिव इन रिलेशन
(व्यंग)
कालूराम ने आते ही हांथ में लिए हुये डिब्बे को खोलते हुए कहा लो दादा मिठाई खाओ मेरे चाचा "लिव इन रिलेशन" के तहत सरकार में मंत्री बन गए हैं। मैंने पूंछा "लिव इन रिलेशन " के तहत कैसे मंत्री बन गए? कालूराम ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा आप इतने पढ़े लिखे हो फिर भी अनपढ़ों जैसी बात करते हो! आप नहीं जानते हो कि आधुनिक युग में छोटे बड़े राजनीतिक दल "लिव इन रिलेशन" (गठबंधन) के तहत एक दूसरे का साथ देते हुए सरकार बना लेते हैं। आप इसे अपनी भाषा में गठबंधन सरकार कहते हो हम इसे आधुनिक युग की तकनीकी भाषा में "लिव इन रिलेशन" की सरकार कहते हैं।
कालूराम के इस नये राजनीतिक ज्ञान से मुझे अपने ज्ञान पर शक होने लगा। मैंने कालूराम के राजनीतिक ज्ञान के खजाने से कुछ और मोती चुनने की गरज से पूंछा "लिव इन रिलेशन" में एक मेल(पुरुष) और एक फीमेल (महिला) होता है। तुम्हारी "लिव इन रिलेशन" की सरकार में कौन राजनीतिक दल मेल और कौन फीमेल है? कालू ने कहा दादा आप भी कमाल करते हो। खैर हम आपको इसकी पृष्ठभूमि के बारे में विस्तार से बताते हैं।
बिन फेरे हम तेरे फिल्म प्रदर्शित फिल्म ने उन प्रेमी प्रेमिकाओं के हृदय में आशा जगायी जो बिना वैवाहिक बंधनों में बंधे साथ साथ रहते हुए दांपत्य सुख का आनंद लेना चाहते थे। न्यायालय प्रेमी प्रेमिकाओं की इच्छा का सम्मान करते हुए अपने फैसले के माध्यम से "लिव इन रिलेशन" अर्थात बिन फेरे लिए साथ साथ रहने का मार्ग प्रशस्त कर दिया। न्यायालय के इस फैसले का बड़े बुजुर्गो को छोड़कर सभी ने प्रगतिशील बताते हुए सराहना की।
न्यायालय के इसी निर्णय प्रेरित होकर राजनीति में "लिव इन रिलेशन" की शुरुआत हुई। अलग अलग विचार धारा वाली पार्टियों ने सत्ता के लिए "लिव इन रिलेशन" के तहत सरकार चलाने का फैसला किया। इसे उन्होंने "गठबंधन" नाम दिया। इस प्रकार "लिव इन रिलेशन" की सरकार की शुरुआत हुई। जहाँ तक पुरुष और महिला का सवाल है तो महिला ही घर को चलती है इसलिए जो बड़ा राजनीतिक दल होता है उसे भी महिला की तरह सरकार बनाने व उसे चलाने की गरज होती है इसलिए वही महिला की भूमिका में रहता है। छोटा दल हमेशा पुरुष की भूमिका में रहता है। छोटे राजनीतिक दल को "लिव इन रिलेशन"की सरकार में सत्ता का सुख चाहिए इसलिये वह तलाक यानी छुट्टा छुट्टी के लिए बहाना ढूंढता रहता है।
मानव जीवन में जब कभी लिव इन रिलेशन में छुट्टा छुट्टी का नंबर आता है तो महिला के 74 टुकड़े अटैंची में भर कर जंगल में फेंक दिए जाते हैं। वहीं राजनीति के लिव इन रिलेशन की सरकार में जब कभी ताल मेल बिगड़ जाता है तो पुरुष रूपी भंवरा(राजनीतिक दल) तुरन्त तलाक तलाक तलाक कह कर सरकार से संबंध विच्छेद कर लेता है और सरकार गिर जाती है। सरकार गिरने की बदनामी के डर से बचने के लिए ही बड़ा राजनीतिक दल महिला की भूमिका में छोटे राजनैतिक दल के नखरे सहता रहता है। जिससे घर गिरस्ती (सरकार) चलती रहे। इसीलिए वह "लिव इन रिलेशन " को बनाए रखने की हर संभव कोशिश करता रहता है। तमाम प्रयासों के बावजूद जब "लिव इन रिलेशन" की सरकार टूटती है तो वह इस शायर की लाइनें गुनगुनाता है कि
हमें अपनो ने ही लूटा गैरों में कहां दम था।
नैय्या हमारी वहीं डूबी जहां पानी काम था।।
"लिव इन रिलेशन " खतरों से खाली नहीं है । एक राजनैतिक दल जब कभी तलाक दे कर दूसरे के साथ "लिव इन रिलेशन "में जाता है तो पहले वाले "लिव इन रिलेशन "वाला राजनैतिक दल का उससे छत्तीस का आंकड़ा हो जाता है । उसकी "लिव इन रिलेशन " की सरकार तोड़ने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगा देता है। साम, दाम, दण्ड,भेद सहित सभी दांव पेंच अपनाकर उसकी सरकार गिराकर ही मानता है। सरकार गिरने के बाद वह मूंछें ऐंठते हुए शान से गाता है कि
तुम अगर हमको न चाहो तो कोई बात नहीं।
तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी।।
तुम मुझसे दिल न लगाओ तो कोई बात नहीं।
गैर से दिल लगाओगी तो लड़ाई होगी।।
"लिव इन रिलेशन" वह लड्डू है जो खाये वह पक्षताये जो न खाये वह भी पक्षताये। जब पक्षताना ही है तो क्यों न लिव इन रिलेशन की सरकार में रह कर पछताया जाये। अब अपने पलटू राम चाचा को ही देखो कभी देवरानी के साथ तो कभी जेठानी के साथ "लिव इन रिलेशन" की सरकार में रहते हैं कोई उनका आज तक बाल भी बांका नहीं कर पाया। वे बड़ी शान से कहते हैं कि हम जहां खड़े हो जाते हैं वहीं से "लिव इन रिलेशन " की सरकार शुरू होती है। वहीं मराठा वाले मामू को देखो विचारो ने बड़ी हिम्मत करके ककड़ी व मकड़ी के साथ "लिव इन रिलेशन"में सरकार बनाई कुछ ही समय बाद उनकी पार्टी के दो फाड़ हो गए। बेचारे मामू गुनाह बे लज्जत सरकार भी गई, पार्टी भी गई और तो और पार्टी का चुनाव चिन्ह तक चला गया बेचारे "न घर के रहे न घाट के"। अब जब कभी मामू मिल जाते हैं तो उनसे "लिव इन रिलेशन " के बारे में कुछ पूछो तो यह गाना सुना देते हैं
बाबूजी धीरे चलना, जरा संभालना
बड़े धोखे है इस राह में।।
इस लिए सोच समझकर "लिव इन रिलेशन" की सरकार में शामिल चाहिए।
अनन्त राम श्रीवास्तव
रायबरेली