आदतें अपनी बदल कर देखिये।
प्यार से होली मना कर देखिये।।
कालिख और कीचड़ लगाना छोड़ दें।
अबीर के बादल उड़ा कर देखिये।।
रंग का मौसम रंग दो सबको प्यार से।
गले मिल सबको बधाई दीजिये।।
स्वयं पीना और पिलाना छोड़ दें।
पी के रंग में भंग न डाला कीजिये।।
'अनन्त' यहां अपना पराया कौन है।
प्यार से नफरत जुदा कर देखिये।।
अनन्त राम श्रीवास्तव
रायबरेली उ. प्र.