मेल को फीमेल बनाने पर पचास हजार जुर्माना
अनन्त राम श्रीवास्तव
मेल को फीमेल बनाने की शिकायत पर उपभोक्ता संरक्षण परिषद ने याची को पचास हजार रुपये देने का आदेश दिया। अगर आप सोच रहे हैं कि जबरन जेंडर (लिंग) परिवर्तन करने पर सिर्फ पचास हजार रुपये जुर्माना किया गया तो आप गलत सोच रहे हैं। अगर ऐसा हुआ होता तो लाखों रुपये भी जुर्माना कम है। यह मामला रेलवे और यात्री के मध्य का है जिसका फैसला 13 साल बाद हुआ।
तेरह वर्ष पूर्व एक सज्जन ने भोपाल से जोधपुर के लिए स्वयं व अपनी दो बहनो के लिये आरक्षण (रिजर्वेशन ) करवाया। रिजर्वेशन फार्म में उन्होने बाकायदा स्वयं को मेल (पुरुष) व अपनी दोनों बहनों के लिए फीमेल (महिला) लिखा। रिजर्वेशन करने वाले लिपिक ने सभी की टिकटों में फीमेल दर्ज कर दिया। शिकायत करने पर भी उक्त गलती ठीक नहीं की गयी। जोधपुर में चेकिंग दल ने गलत टिकट पर यात्रा करने के आरोप में 330 रुपये जुर्माना ठोंक दिया।
इस पर उन सज्जन ने उपभोक्ता फोरम में रेलवे के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया। 13 साल तक सुनवाई चलने के बाद उपभोक्ता अदालत ने याची की शिकायत को उचित मानते हुए जुर्माने में लिये गये 330रुपये के साथ मानसिक उत्पीड़न के लिए 50,000 रुपये अदा करने का आदेश पारित किया।
मित्रो आप ही बतायें कि यह फैसला उचित है। तेरह वर्षों में रेलवे का किराया व जुर्माना राशि में जितनी बढ़ोत्तरी हुयी है। जुर्माने में रेलवे द्वारा लिये गये 330 रुपये की वापसी उसी हिसाब से अधिक होनी चाहिये। दूसरी बात आरक्षण लिपिक की गलती पर उसे कोई दण्ड क्यों नहीं दिया गया। शिकायत पर भी गलती सही न करने अथवा करवाने वाले अधिकारी के खिलाफ भी कार्यवाही की जानी चाहिए।
मित्रो आप जब भी रेलवे से यात्रा करें टिकट पर इस प्रकार की त्रुटि होने पर उसे तत्काल सही करवा लें अन्यथा आपको भी इसी प्रकार की शर्मिंदगी व जलालत उठानी पड़ सकती है। आज के "आप बीती व जग बीती" अंक के बारे में अपनी प्रतिक्रिया देना मत भूलें।
आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव