. मेरे दीवानो मुझे पहचानो मैं कौन?
. ए. आर. श्रीवास्तव
मुझे आप मरने के बाद अपने साथ नहीं ले जा सकते मगर आप मेरा उपयोग कर अपने जीवन स्तर को जितना चाहें उतना बेहतर बना सकते हैं। मैं जानता हूँ कि आप सब मुझे बहुत पसंंद करते हो पर इतना अधिक मत पसंंद करो कि लोग आपको नापसंद करने लगें। बेशक मैं भगवान नहीं हूँ पर भगवान विष्णु की अर्द्धागिनी का छाया रुप अवश्य हूँ। इसलिये लोग मुझे साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। मैं पकवानों में "नमक" जैसा हूँ न पड़े अच्छे भले पकवान बेस्वाद लगने लगते हैं और जरूरत से अधिक डाल दिया जाये तो भी पकवान बेस्वाद हो जाते हैं। इतिहास गवाह है कि मैं जिसके पास बेशुमार था उसके मरने के बाद मेरे लिए परिजनों में लड़ाई तक हो गयी।
बेशक मैं कुछ भी नहीं हूँ पर मैं ही निर्धारित करता हूँ कि समाज में आपको कितनी इज्ज़त और सम्मान मिलेगा। मैं आपके पास होता हूँ तो आप सबके प्रिय हो जातें हैं और जब मैं आपके पास नहीं होता हूँ तो आप समाज में अप्रिय हो जाते हो। मेरी वजह से नये नये रिश्ते बनते हैं वहीं पुराने रिश्ते मेरी वजह से टूट भी जाते हैं। मैं भौतिक सुखों के प्राप्त करने का सबसे बड़ा साधन हूँ तो जमाने में होने वाले अधिकांश लड़ाई झगड़ों का मूल (जड़) भी मैं ही हूँ। अब तो आप समझ गये होंगे कि मैं कौन हूँ यदि नहीं समझे तो बताता हूँ।
मंदिर मे दिया जाने वाला ( चढ़ावा ) हूँ, मैं स्कुल में दी जाने वाली( फ़ीस )हूँ।
मैं शादी में दिया जाने वाला दहेज हूँ, मैं तलाक के बाद दिया जाने वाला गुजारा भत्ता हूँ। मैं महाजन अथवा बैंक से मिलने वाला कर्ज हूँ, मैं अदालत में दिया जाने वाला जुर्माना हूँ। मैं सरकार का खजाना भरने वाला कर हूँ मैं सेवानिवृत्त पर सरकारी खजाने से मिलने वाली पेंशन हूँ।
मैं अपहर्ताओ को दी जाने वाली लिएं फिरौती हूँ, मैं होटल में सेवा के लिए दी जाने वाली टिप हूँ। मैं श्रमिकों को मिलने वाला मासिक वेतन हूँ।
मैं मनचाही सेवा के बदले दी जाने वाली रिश्वत हूँ। खुशी के अवसर पर दिया जाने वाला उपहार हूँ। समझ गये मैं पैसा (धन) हूँ।
मित्रो आज का "आप बीती व जग बीती" का अंक आपको कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया से अवगत करना मत भूलें।
आपका
. ए. आर. श्रीवास्तव