बाहर आने पर अपने पीछे सौरभ को आता देख नव्या गुस्से से कहती है, की मिस्टर सिंघानिया किसी शादीशुदा महिला के पीछे यूं भागते हुए आना आपको शोभा नहीं देता,
आपकी यह सब हरकतें मुझे बिल्कुल पसंद नहीं मैं चुप हूं इसका मतलब, यह बिल्कुल नहीं है कि आप मेरे साथ किसी भी तरह की कोई जबरदस्ती कर सकते हैं,।
सबके सामने तमाशा करना आपकी आदत होगी मेरी नहीं, और हां एक बात और मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूं, जो हर किसी के साथ फ्लर्ड करती रहे ,मेरे लिए मेरे पति ही पर्याप्त है।
इसलिए कृपा करके आप मुझसे दूरी बना कर रखिए, नव्या की यह बातें सुनकर सौरभ मन ही मन खुश हो रहा था, कि चलो दिखावे के लिए झूठा ही सही नव्या को अपने पति पर नाज तो है,
कितने फक्र से आज नव्या ने यह कहा कि मेरे लिए मेरे पति है लेकिन इसको यह नहीं पता है। कि अब मैं जान चुका हूं कि मैं ही इसका पति हूं, नव्या के इस प्रकार कहने पर, सौरभ मुस्कुराते हुए बोला अरे ,मिसेज सिंघानिया आप तो बुरा ही मान गई ,
मैंने तो सिर्फ आपकी चोट पर बैंडेज ही लगाया था क्या किसी की चोट पर बैंडेज लगाना फ्लर्ड करना है। हां जब महिला शादीशुदा हो तो, नव्या बोली वह चोट दी भी आप ही ने थी,
सौरभ बोला इसीलिए तो मैं ही बैंडेज भी लगा रहा था, सौरभ बोला अगर आप इसे फ्लड कहेंगी तो यह बात पूरे ऑफिस में फैल जाएगी ,और कुछ दिन बाद मेरी शादी के लिए जो रिश्ते आएंगे, वह इसलिए कैंसिल हो जाएंगे कि लड़का करैक्टर लेस है।
इसलिए नव्या जी प्लीज आप इस तरह की बातें मत करिए, नव्या मन ही मन कहती है, कैसा घटिया आदमी है ,इसे तो रिश्ते की कोई कदर ही नहीं यह तो रिश्तो का व्यापारी है ,बस रिश्तो को खरीदना जानता है ,पैसे फेंक कर खरीद लेगा ,इसे कोई रिश्ता निभाना ही नहीं आता फिर कैसे दूसरे रिश्ते के बारे में यह सोच सकता है, इसे तो बस बिजनेस करना आता है ,
कुछ दिन बाद जब मैं इसे सड़क पर लाऊंगी तब वह इसके लायक भी नहीं रहे बचेगा ,तब सौरभ कहता है, नव्या जी कहां खो गई,अभी तो आप नीलेश से कह रही थी ,कि आपको कहीं से थोड़ी खरोच लग गई थी
,नव्या बोली तमाशा बनाना मिस्टर सिंघानिया आपका काम है मेरा नहीं, और अंदर ऑफिस में आकर अपनी कुर्सी पर बैठ जाती है गुस्से से नव्या का चेहरा लाल हो जाता है सौरभ की इस हरकत से उसका गुस्सा इतना ज्यादा था ।
कि वह उसकी शकल देखना भी पसंद नहीं करती और कुछ पेपर निकाल कर अमन वर्मा से कहती है ,अमन जी इसमें मैंने कुछ गलतियां ढूंढी है ।
आप उन्हें प्लीज सुधार दीजिए ,अमन पेपर लेकर कहता है जी मैडम, कुछ देर बाहर रहने के पश्चात मिस्टर सिंघानिया भी वापस आ जाते हैं, नव्या नजर उठाकर उनकी तरफ देखती भी नहीं और अपने काम में तल्लीन रहती है,अंदर आते समय मिस्टर सिंघानिया के हाथ में एक बॉक्स रहता है, सबकी नजरें उनके ऊपर अनायास ही पहुंच जाती हैं सिर्फ नव्या की छोड़कर नीलेश ने ,
देखा कि मिस्टर सिंघानिया के हाथ में कोई बाक्स है, आदत से मजबूर नीलेश हंसकर कहता है क्या लाए हैंॽ मिस्टर सिंघानिया मुझे देने के लिए कोई गिफ्ट लाए हैं क्याॽ
सौरभ उसकी तरफ घूरते हुए कहता है ।क्यों आज आपका बर्थडे है। नीलेश बोला बर्थडे तो नहीं है, लेकिन अगर आप मुझे तोहफा देना चाहे तो मैं लेने को तैयार हूं, सौरभ वैसे भी नीलेश को कम पसंद करता था, निलेश की यह सब बातें सुनकर सौरभ चिढ़ जाता है ,और कहता है मिस्टर नीलेश आपको नहीं लगता आप दूसरों की जिंदगी में कुछ ज्यादा ही इंटरफेयर करते हैं,
निलेश बोला मुझे तो यह भी लगता है। कि आप मेरी और नव्या जी की जिंदगी में जाने कहां से बीच में आ जाते हैं। सौरभ ने कहा नव्या जी के पति अभी है, नीलेश बोला मैंने कब कहा नहीं है ,वह सिर्फ मेरी फ्रेंड है।
नव्या उन दोनों की बात सुनकर तेजी से बोली प्लीज आप लोग शांत रहिए ना खुद कोई काम करते हैं ना दूसरों को करने देते हैं। नव्या यह नहीं समझ पाती कि वह दोनों आखिर बहस किस बात की कर रहे थे,
इतना कहते ही फिर चारों ओर सन्नाटा पसर गया, सब अपने काम को चुपचाप करने लगे यह बात अलग थी कि सौरभ का काम तो बस नव्या को देखना था, वह भी अपने काम में लगा ही था, बीच-बीच में मिस मीनल पेपर लेकर आती, तो उन पर एक सरसरी नजर डाल देता ।।।।
,उसके बाद उनकी निगाहें बस नव्या को ही देखती रहती ,उसका देखना नव्या को बहुत खटकता था, और सौरभ अपनी सीट पर बैठने के पहले, नव्या के टेबल पर बॉक्स रखते हुए अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है।
नव्या अपने काम में इतना ज्यादा बिजी रहती है ।कि वह देख भी नहीं पाती कि उसके टेबल पर सौरभ चुपचाप बॉक्स रख देता है, तभी सौरभ के घर से ग्रैनी ने सौरभ के लिए नाश्ता भेजा, ड्राइवर नाश्ता लेकर अंदर आता है ,और कहता साहब नाश्ता लाया हूं ,
साहब गरम है खा लीजिए ग्रैनी ने कहा है ,कि जब साहब खत्म कर लेंगे नाश्ता तब तुम आना सौरभ उसके पास जाता है ,और कहता है ,आप कुछ देर रुकिए मैं नाश्ता करके आपको बताता हूं तब आप घर जाइएगा, ड्राइवर बाहर खड़ा होकर इंतजार करता है ,सौरभ का नाश्ता मिस मीनल लगाती हैं, सौरभ ने नाश्ते के लिए सबको ऑफर किया नव्या से भी उसने रिक्वेस्ट की लेकिन नव्या ने उसको इतना घूर कर देखा कि वह चुपचाप आकर खाने लगा ,
मिस्टर हर्ष वर्धन ने चीज सैंडविच उठाई और नीलेश तो बैठकर सौरभ के साथ नाश्ता करने लगा मिस मीनल को भी सौरभ ने नाश्ते के लिए कहा वह बोली सर मेरे पास टिफिन रखा है, अगर मैं नाश्ता कर लूंगी तो मेरा टिफिन वापस ऐसे ही चला जाएगा आप करिए,
सबको इस तरह नाश्ता करते देख नव्या सोचती है ,कि यह लोग काम करने आए हैं या इनकी पार्टी चल रही है, फिर अपने काम में लग जाती है, सौरभ का मन बार-बार कर रहा था, कि जाकर नव्या से कहें की प्लीज नव्या तुम भी ग्रैनी के हाथ का थोड़ा सा नाश्ता चख लेती ,किंतु नव्या की बड़ी बड़ी आंखें देखकर उसकी हिम्मत ही नहीं पड़ी,,,
, तभी नव्या के पास किसी का फोन आया, गिर जाने के कारण नव्या के फोन मे फोन करने वाले का नाम और नंबर नहीं दिख रहा था ,क्योंकि उसके फोन की एलसीडी टूट गई थी, नव्या फोन उठाती है, और फिर अचानक उसके चेहरे पर एक अजब सी चमक आ जाती है ।
सौरभ यह सब देखता रहता है, नव्या बात करते करते फोन पर कहती है ,आप वही वेट करिए मैं आती हूं, फिर मिस्टर अमन को कुछ पेपर बगैरा दे कर नव्या अपना बैग उठाती है, और बाहर निकलने लगती है,
तभी मिस्टर अमन पीछे से आवाज देते हुए कहते हैं। मैडम आप अपना यह बॉक्स भूल गई ,नव्या पलट कर देखती है ,और कहती है नहीं मिस्टर अमन यह बॉक्स मेरा नहीं है क्योंकि नव्या ने सौरभ को बॉक्स लाते देखा नहीं था इसलिए उसे बॉक्स के बारे में कुछ भी पता नहीं था।
।मिस्टर अमन कहते हैं मैडम आपका नहीं है तो किसका है यह तो आपकी टेबल पर रखा था, नव्या कहती हैं मुझे नहीं पता और मैं थोड़ा जल्दी में हू , सबकी ओर नजर डालते हुए , नव्या कहती हैं, मैं क्षमा चाहती हूं कोई जरूरी काम आने की वजह से मुझे अभी तुरंत जाना पड़ रहा है ।
मिस्टर हर्षवर्धन बोले कोई बात नहीं मिसेज सिंघानिया वैसे भी आप कहां छुट्टी लेती हैं, आप जा सकती हैं ,और नव्या जाने लगती है, तभी सौरभ अपना नाश्ता छोड़कर फौरन नव्या की टेबल से वह बॉक्स उठाकर अपने साथ लेकर नव्या के पीछे पीछे चला जाता हैं ।
तब तक नव्या गाड़ी में बैठ जाती है, और गाड़ी चल देती है सौरभ भी अपनी गाड़ी में बैठते हैं , ड्राइवर से कहते हैं उस गाड़ी का पीछा करिए ड्राइवर कहता है साहब आपने नाश्ता कर लिया सौरभ ने कहा जितना आप से कहा जाए उतना करिएऔर नव्या के पीछे चल देते हैं।
थोड़ी देर तक पीछा करने के बाद गाड़ी एयरपोर्ट की तरफ मुड़ जाती है सौरभ को लगा कहीं शरद काम और पैसे के लालच में मुझसे झूठ तो नहीं बोल रहा था, नव्या के चेहरे की खुशी और उसकी एयरपोर्ट की तरफ बढ़ती गाड़ी को देखकर सौरभ का दिल धक-धक करने लगता है ।उतनी ही देर में उसके मन में जाने कौन-कौन से विचार आने लगते हैं, वह मुट्ठी बांधकर बस यही भगवान से प्रार्थना करता है कि जो शरद ने कहा वह सही हो।
क्या सच में एयरपोर्ट पर नव्या से मिलने कोई आ रहा था? जानने के लिए पढ़ते रहिए तड़प तेरे प्यार की और मुझे समीक्षा देकर करके जरूर बताइए कि मेरी यह कहानी आपको कैसी लगी 🙏🙏🙏 क्रमशः