अपने कमरे में आने पर सौरभ कपड़े बदलने लगता है। और सोचने लगता है,कि आज तक मैंने कभी किसी लड़की की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखा
,अगर मैं नव्या को पहले ही देख लेता तो शायद मुझे उससे पहले ही प्यार हो जाता, कितनी खूबसूरत मासूम और निश्छल सी लड़की किंतु मेरी वजह से कितने दुख कितनी दर्द और कितनी तकलीफ झेल रही हैं।
,मुझसे बड़ा गुनाहगार कौन हो सकता है ॽ बार-बार अपने आप को दोष देते हुए सौरभ अपने सर को दीवाल पर कई बार पटकता है ।
,और फिर चुपचाप बेड पर आकर बैठ जाता है ,उसकी आंखें लाल हो जाती है, और आंसूओं से भरी रहती है। वो एकटक सामने शून्य की ओर निहारते हुए कहता है,,,
,मेरी यह तड़प तभी शांत होगी जब मेरी नव्यां को न्याय मिलेगा उसके साथ मैंने अन्याय किया है । उसे न्याय भी मैं दूंगा मैं उसे अपनी पत्नी का पूरा हक दूंगा
,फिर उसके आंसू आंखों से लुढ़क कर गालों तक आ जाते हैं वह मन ही मन कहता है, कहां मैंने सोचा था अपनी पत्नी को प्रिंसेस की तरह रखूंगा उसे कभी कोई दुख छू भी ना पाए गा कहां मेरी पत्नी कैदियों की तरह जेल में रही, मैं जानता हूं ।
नव्या मेरे प्रति तुम्हारा गुस्सा जायज है, अब तुम चिंता मत करो अब मैं सब ठीक कर दूंगा मैं अपनी पत्नी को वह हक दिलाकर कर रहूंगा जिसकी वह अधिकारी है, मैं जब भी उसके समीप जाता हूं ।
जाने क्यों उसकी परेशानियां बढ़ जाती है। मैं चाह कर भी उसके दुख को कम नहीं कर पाता आज ही पार्टी में मेरा इरादा उसको दुख देने का ना था, लेकिन पता नहीं कैसे मैंने उसको तकलीफ ही दी उसके हाथ से बहता खून देखकर मैं तड़प उठा, किंतु आज यह जानने के बाद मुझे इस बात का संतोष है ,कि नव्या तुम मेरी पत्नी हो तुम मेरी हो और सिर्फ मेरी हो यह कह कर, सौरभ अपने आंसुओं को पोछता है ।और बिस्तर पर लुढ़क जाता है, जब आंखें बंद करता है, उसकी आंखों के सामने नव्या का चेहरा आता है, जब आंखे खोलता है तो भी उसकी आंखों के सामने हर जगह नव्या दिखाई देती है, सौरभ सोचता है ऐसा कैसे हो सकता है नव्या तो मेरे कमरे में कभी नहीं आएगी, फिर मन में सोचता है, एक न एक दिन नव्या तुम्हें आना पड़ेगा इसी सब, कशमकश में जाने कब उसकी आंख लग गई, सौरभ यूं तो जल्दी उठ जाता था, लेकिन देर रात तक नींद ना आने के कारण उस दिन उसकी नींद नहीं खुली ग्रैनी को उसकी चिंता होने लगी, ग्रैनी ने नौकर से कहा देखो जरा सौरभ अभी तक उठा नहीं नौकर सौरभ के कमरे में जाता है, दरवाजा उढगा हुआ था, नौकर ने थोड़ा सा दरवाजा खिसका कर देखा सौरभ सोया रहता है। नौकर आकर ग्रैनी से बताता है ,ग्रैनी सौरभ बाबा तो सो रहे हैं, ग्रैनी बोली इतनी देर तक तो सौरभ कभी सोता नहीं उसकी तबीयत तो ठीक है। यह कहते हुए ग्रैनी धीरे धीरे सौरभ के कमरे की तरफ जाती है, जैसी ग्रैनी सौरभ के कमरे के अंदर आती है वैसे ही सौरभ की नींद टूट जाती है, ग्रैनी को अपने कमरे में देखकर सौरभ घबराकर उठता है, और पूछता है क्या हुआ ग्रैनी सुबह हो गई क्या ॽफिर सौरभ की नजरें घड़ी की ओर जाती हैं, घड़ी देखते ही सौरभ चिल्लाता है ओह माय गॉड, आज तो मैं बहुत लेट हो गया ग्रैनी बोली कोई बात नहीं तू जल्दी नीचे आ मैं नीचे नाश्ता लगवाती हूं सौरभ बोला ग्रैनी नाश्ता करने का टाइम नहीं है। अब तक तो मिस मीनल भी नीचे आ गई होंगी, ग्रैनी बोली ठीक है ,तुम ऑफिस जाओ मैं नाश्ता तुम्हारा भिजवा दूंगी सौरभ ने कहा ग्रैनी वहां खाने का टाइम नहीं रहता, ग्रैनी ने कहा मैं कुछ नहीं सुनूंगी आज तेरा नाश्ता तेरे ऑफिस में भिजवा दूंगी सौरभ कुछ नहीं बोलता और तेजी से बाथरूम की तरफ भागता है। ड्राइंग रूम के सोफे पर बैठी हुई मीनाल बड़बड़ाती रहती है। कि खुद तो सर, तैयार नहीं है। मुझे जल्दी बुला लिया अगर इनकी जगह मैं लेट हुई होती तो इतना डांटते और लेक्चरर देते मानो जैसी इनसे कभी कोई गलती होती ही नहीं, बड़े लोग हैं, हम छोटे लोगों की भावनाओं को तो समझते ही नहीं वैसे भी वहां जाकर इनको करना भी क्या हैॽ काम तो करते नहीं बस बीच-बीच में गलतियां निकालते हैं ,और नव्या मैडम से तो जाने इनका क्या छत्तीस का आंकड़ा है, मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आता, तभी मीनल देखती है कि इतनी जल्दी सौरभ सर तैयार होकर आ भी जाते है ।वह घबराकर खड़ी हो जाती है ,सौरभ आगे आगे चलता है ,मीनल उसके पीछे आती है डाइवर दरवाजा खोले खड़ा रहता है दोनों कार में बैठ जाते हैं। ऑफिस पहुंचने पर सौरभ नव्या के पास जाकर पूछता है, अब आपका हाथ कैसा है, मिसेज सिंघानिया नव्या उसको नजर उठा कर देखती है ,और कहती है आपको संतोष नहीं हुआ होगा ना, खून थोड़ा कम ही गिरा यह जानकर आपको दुख, होगा कि मेरी चोट आज तो ठीक है, सौरभ कुछ बोलता नहीं आकर अपनी सीट पर बैठ जाता है । उसके बैठते ही नीलेश दौड़ कर आता है ,और नव्या का हाथ अपने हाथ में लेकर पूछता है ,अरे स्वीटहार्ट कैसी लगी तुम्हें चोट और कब लगी तुमने मिस्टर सिंघानिया को बता दिया और मुझे नहीं बताया नव्या बोली तुम बताने का मौका दो, तब तो बताऊं, अरे यह कोई चोट नहीं बस छोटी सी खरोच है। मैंने मिस्टर सिंघानिया को नहीं बताया वह तो जब कल हमें यह ख़रोंच लगी थी, तो मिस्टर सिंघानिया वहीं पार्टी में थे, तो इनको पता चल गया होगा, और तुम इतना परेशान हो गए, कहते हुए नव्या सौरभ की तरफ़ देखती है, और धीरे से अपना हाथ नीलेश से छुड़ा लेती है। हालांकि सौरभ को नीलेश का यूं नव्या का हाथ पकड़ना बहुत बुरा लगता है, उससे यह बर्दाश्त नहीं होता ,किंतु वह यह सोचता है कि जो चोट मैंने तुम्हारे दिल पर दी उसके सामने मेरे लिए तो और बड़ी सजा होनी चाहिए। यह कुछ भी नहीं, नव्या भी अच्छे से समझ चुकी थी कि नीलेश का उसके पास आना सौरभ को पसंद नहीं था, इसलिए नव्या जानबूझकर नीलेश से बड़े प्यार से बात करती है। और नीलेश तो इन दोनों की आपसी जंग में बस एक मोहरा बन गया था, वह तो नव्या को सच में पसंद करता था ,उसे नव्यां की बातें नव्या का खूबसूरत चेहरा सब कुछ अच्छा लगता है,। सब अपने-अपने कामों में लगे रहते हैं सौरभ उठता है, और बैंडेज के पैकेट से एक बैंडेज निकालता है, और सीधे नव्या के पास पहुंच जाता है ।नव्या उस समय फोन पर किसी से बात कर रही थी उसने एक हाथ से मोबाइल को कान पर टिका रखा था,
सौरभ ने बैंडेज का टेप निकालकर नव्या की चोट पर लगा दिया, उसे यह करते नीलेश और मीनल दोनों देखते हैं, घबराकर नव्या के हाथ से मोबाइल छूट कर जमीन पर जा गिरता है, सौरभ जमीन से मोबाइल उठाकर देखने लगता है, तभी गुस्से से आंखें दिखाते हुए नव्या कहती है ,पटक दीजिए जो बचा है वह भी टूट जाए ,सौरभ धीरे से कहता है, आप चिन्ता न करें मिसेज सिंघानिया मैं ठीक करा दूंगा नहीं तो नया फोन आपको अभी लाकर देता हूं, नव्या गुस्से से सौरभ के हाथ से मोबाइल छीन लेती है। और कहती है कि आप क्यों मेरे पीछे पड़े हैं, मुझे चैन से क्यों नहीं जीने देते ,
सौरभ बस बार बार सांरी मिसेज सिंघानिया मुझे माफ कर दीजिए प्लीज, कहता है, नव्या उठकर बाहर निकल आती है सौरभ भी उसके पीछे पीछे आते हैं। आगे जानने के लिए पढ़ें तड़प तेरे प्यार की और प्लीज़ समीक्षा जरूर करें🙏🙏🙏
क्रमशः।।।