मैं कोई गुज़रा वक़्त नहीं
जो तेरे चाहने पर भी ना लौट पाउँगा
पुकारोगे जब भी मेरा नाम
अपने नज़दीक ही पाओगे
आएगा जब भी ख़्याल मेरा
अपने ख़्वाबों में मुझे ही पाओगे
हो जाओगे गर तुम कभी अकेले
मुझे अपने साथ ही पाओगे
हाथ जब भी बढ़ाओगे मेरी तरफ़
अपने हाथों ने मेरा हाथ पाओगे
मैं कोई गुज़रा वक़्त नहीं, जो लौट ना पाउँगा
३१ दिसम्बर २०१६
डिब्रुगढ़