कोशिश बहुत की हैं
तुम्हें भुलाने की मगर
जब भी तुम रूबरू होते हो
बीते पल, सुहानी यादें
ताज़ा हो जाती हैं
कुछ ज़ख़्म हरे हो जाते हैं
कुछ नए मिल जाते हैं
मुस्कुरा कर इन्हें छुपा तो लेता हूँ
मगर, दर्द पानी बन छलक जाता है
ख़ुशी के आँसु हैं कह कर
दुनिया को बहकाता हूँ
दोस्त मगर समझ जाते हैं
जब भी तुम रूबरू होते हो
१८ फ़रबरी २०१७
पेरिस