सादगी पे तुम्हारी आज भी फ़िदा हैं हम
देखती हो जब झुकी नज़रों से तुम
तो आज भी दिल की धड़कन रुक सी जाती है
मुस्कुरा देती हो जब किसी बात पर तुम
तो आज भी फ़िज़ा में बहार छा जाती है
रूख से जब हटाती हो नक़ाब तुम
तो आज भी चाँद शर्मा के छुप जाता है बादलों में
बोलती हो जब प्यार भरे दो बोल तुम
तो आज भी मधुर संगीत घुल जाता है माहौल में
सादगी पे तुम्हारी आज भी फ़िदा हैं हम
३ जुलाई २०१६
जिनेवा