आ गयी है ज़िंदगी
आ गयी है ज़िंदगी
ऐसे पड़ाव पर
कहना है अलविदा
अपने आप से
रिश्तों के तानेबाने
लगने लगे हैं बेज़ार से
मिलना है जिनसे
आख़िरी बार
हैं कुछ पास
तो कुछ हैं, दूर
होगी उनसे बात
या मुलाक़ात
मालूम नहीं
थमने को हैं साँसे
बस इंतेज़ार में
आ गयी है ज़िंदगी
ऐसे पड़ाव पर
२८ नवंबर २०२०
दिल्ली