कोशिशें लाख की मगर
तुझे भुला ना पाया हूँ
तस्वीर तेरी दिल से
हटा ना पाया हूँ
खुदा के घर में बैठा हूँ मगर
नाम तेरा ही है लबों पर
उसकी इबादत भी कर ना पाया हूँ
महफ़िलों में मिलते हैं हसीन कई, मगर
ढूँढती है जिसे नज़र
दीदार उसके कर ना पाया हूँ
मोहब्बत की वजह से है ज़िंदगी मेरी
मगर, जिससे की है मोहब्बत
उसे बात दिल की कह
ना पाया हूँ
१० सितम्बर २०१८
जिनेवा