तेरी याद आते ही
क़लम ख़ुद बा ख़ुद चलने लगती है
दिल के ज़स्बाद, लफ़्ज़ बन काग़ज़ पर उतर आते हैं
मन की बातों को स्वर का मिल जाता है
ख़्वाबों को अभिव्यक्ति का ज़रिया मिल जाता है
तमन्नाओं को प्रकट होने का मौक़ा मिल जाता है
इन कविता ओं के ज़रिए तुझ से रूबरू होने का आभास हो जाता है
तेरी याद आते ही, क़लम ख़ूब बा ख़ुद चलने लगती है
१९ नबंबर २०१६
जिनेवा