तेरे दीदार को खड़े हैं क़तार में
तुझे घड़ीभर निहारने को खड़े हैं क़तार में
तुझ से रूबरू होने को खड़े हैं क़तार में
तुझ से मुलाक़ात करने को खड़े हैं क़तार में
तुझे देखने को खड़े हैं क़तार में
तुझे महसूस करने को खड़े हैं क़तार में
पर ना जाने कब ख़त्म होगा यह इंतज़ार
ना जाने कब ख़त्म होगी यह क़तार
डर है ना चली जाए जान, इंतज़ार में,
इस क़तार के ख़त्म होने की चाह में
१२ दिसम्बर २०१६
दिल्ली