बहुत लोग मिलते हैं ज़िन्दगी में,
समझाने वाले बहुत हैं
समझने वाले कम
हँसने वाले बहुत हैं
हँसाने वाले कम
सुख में साथ देने वाले बहुत हैं
सुख देने वाले कम
आँसूं देने वाले बहुत हैं
आँसूं पोंछने वाले कम
मुश्किलें पैदा करने वाले बहुत हैं
मुश्किलों में साथ देने वाले कम
हिम्मत तोड़ने वाले बहुत हैं
हिम्मत बढ़ाने वाले कम
निराश करने वाले बहुत हैं
आस बढ़ाने वाले कम
मगर शुक्र है खुद का
जिसने मुझे कम में ही
खुश रहना सिखा दिया
कम लोगों से दोस्ती, रिश्ता है मेरा
मगर उनमें मेरी और मेरी उनमें
जान बस्ती है
२७ जनवरी २०१७
जिनेवा