देखते थे जिन्हें रोज़
उनकी नज़रें कभी
हम पर रुकी नहीं
करते थे जिससे रोज़
मन ही मन बातें
आमने सामने बैठ कर
कभी उनसे बात हो ना पायी
माँगा हर दुआ में की
उनकी दुआ में हम आयें
दुआ वो क़बूल हो ना पायी
२१ अगस्त २०१७
फ़्रैंकफ़र्ट
27 अगस्त 2017
देखते थे जिन्हें रोज़
उनकी नज़रें कभी
हम पर रुकी नहीं
करते थे जिससे रोज़
मन ही मन बातें
आमने सामने बैठ कर
कभी उनसे बात हो ना पायी
माँगा हर दुआ में की
उनकी दुआ में हम आयें
दुआ वो क़बूल हो ना पायी
२१ अगस्त २०१७
फ़्रैंकफ़र्ट
बढ़िया रचना
28 अगस्त 2017