दबे जस्बादों को उभार कर जीना सीख लिया है
दिल के टुकड़ों को संजो कर जीना सीख लिया है
ग़मों को हंसी में डुबोकर जीना सीख लिया है
ज़ख्मों के साथ मुस्कुरा कर जीना सीख लिया है
खुदगर्ज़ रिश्तों को दरकिनार कर जीना सीख लिया है
हताशा में भी आशा की किरण ढूँढ़कर जीना सीख लिया है
विफलताओं से सीखकर जीना सीख लिया है
ज़िन्दगी तेरे हर इम्तेहान में हौसले से उतरना
सीख लिया है
३० नवम्बर २०१६
जिनेवा