लहर को साहिल से
रास्ते को मंज़िल से
रात को दिन से
धरती को आसमान से
मिलने की चाह होती है जैसे
हमें तुझसे मिलने की
ख़्वाहिश है वैसे
भँवरे को फूल से
पतंगे को शमाँ से
चाँद को चाँदनी से
मोहब्बत होती है जैसे
हमको तुझसे इश्क़ है वैसे
१९ जनवरी २०१७
पेरिस
21 जनवरी 2017
लहर को साहिल से
रास्ते को मंज़िल से
रात को दिन से
धरती को आसमान से
मिलने की चाह होती है जैसे
हमें तुझसे मिलने की
ख़्वाहिश है वैसे
भँवरे को फूल से
पतंगे को शमाँ से
चाँद को चाँदनी से
मोहब्बत होती है जैसे
हमको तुझसे इश्क़ है वैसे
१९ जनवरी २०१७
पेरिस