कभी दिल से सोंचोगे तो समझ पाओगे
ना कही जो बात ज़ुबान से
इशारों से ही समझ जाओगे
नज़रों को नज़रों से ही पढ़ पाओगे
स्वर नहीं हैं गीत में मेरे
मगर उसे भी तुम सुन पाओगे
बिन छूए स्पर्श भी महसूस कर पाओगे
इश्क़ के मेरे जज़्बातों का अहसास कर पाओगे
कभी दिल से सोंचोगे तो समझ पाओगे
२३ अप्रेल २०१७
बॉज़ल