आँसू बयान करते हैं ज़स्बात, हँसी, से कहीं ज़्यादा
छलकते हैं आँखों से यह ख़ुशी में
बहते हैं अँखियों से दुःख में भी
कर देते हैं आँखें नम, होता है जब गर्व अपनों पर
या कर देता कोई जब शर्मसार
कोई हो दूर तो, होती आँखें गिली, उसकी याद में
आए मिलने कोई अरसे के बाद, तो भी हो जाती आँखें नम
भर आती हैं आँखें सुन कर अपनो से कटु शब्द
तो उनके प्यार भरे दो शब्द भी, देते हैं भर आँखें
तभी कहते हैं शायद, रखो संभाल कर इन मोतियों को
फ़्रैंकफर्ट
७ जून २०१६