तेरी दहलीज़ पे, ना जाने क्यों रुक जाते हैं क़दम
कहना है तुझ से बहुत कुछ, पर कह नहीं पाते हैं हम
देख कर तुझ को, ना जाने क्यों होश गवाँते हैं हम
ज़िंदगी तुझ से है, ना जाने क्यों समझा पाते हैं हम
तेरी दहलीज़ पे, ना जाने क्यों रुक जाते हैं क़दम
तेरी नज़रों से है मोहब्बत, ना जाने क्यों बता पाते हैं हम
हँसते चेहरे को तेरे देख कर जी रहे हैं हम, ना जाने क्यों यह दिखा पाते हैं हम
नहीं है तुझको ख़बर, पर फिर दिलो जान से तुझे चाहते हैं हम,
ना जाने क्यों तुझे यह महसूस कर पाते हैं हम
तेरी दहलीज़ पे, ना जाने क्यों रुक जाते हैं क़दम
२६ जुलाई २०१६
फ़्रैंकफ़र्ट