इस चार दिन की ज़िंदगी
में चार पल ख़ुशी के हैं
तू जी ले इन्हें कुछ इस तरह
कि ज़िंदगी इन्हीं में है
मस्कुराहटों से गिन
तू साल अपनी उम्र के
हँसी ख़ुशी से बीते जो पल
ज़िंदगी इन्हीं में है
छोड़ कुछ मीठी यादें
उम्र के हर पड़ाव पर
पीछे मुड़ जब देखेगा
ज़िंदगी इन्हीं में है
५ जुलाई २०१७
जिनेवा