कल आज और कल की चिंता में
गुज़र गयी ज़िंदगी
कभी इस पल को जी कर देखो
दुख तकलीफें बहुत है ज़िंदगी में
सुख के पल, कम ही सही
उन्हें खुल कर जी कर तो देखो
लोग मिलते बिछुड़ते बहुत हैं ज़िंदगी में
साथ में जो हैं उन के साथ जी कर तो देखो
नफ़रत दुश्मनी करने वालों की कमी नहीं
मोहब्बत करने वाले, कम ही सही
वक़्त उनके साथ बिता कर तो देखो
सोंच को बाँधने वाले बहुत हैं
उन्मुक्त खायलों वाले कम ही सही
उन के साथ कुछ पल बिता कर तो देखो
बुरा दिखाने वाले बहुत हैं
अच्छाई की पहचान करने वाले कम ही सही
उन की तरफ़ हाथ बढ़ा कर तो देखो
कल आज और कल की चिंता छोड़
इस पल ने ज़िंदगी बिता कर तो देखो
१७ जनवरी २०१७
अबूजा