ना जाने कौन सी मुलाक़ात हो आख़िरी
इसलिए हर मुलाक़ात को स्मरणीय बना लेता हूँ
ना जाने कौन से बात हो आख़िरी
इसलिए हर बात को खास बना लेता हूँ
ना जाने कौन सा पल हो आख़िरी
इसलिए हर पल को ख़ुशगँवार बना लेता हूँ
ना जाने कौन सा सफ़र हो आख़िरी
इसलिए हर सफ़र को यादगार बना लेता हूँ
ना जाने कौन से छंद हो आख़िरी
इसलिए हर छंद में तुझे जीवंत कर लेता हूँ
२६/११/१७
जिनेवा