भटकते हुए पहुँचा जब उसके दर
हो गयी थकन सब दूर
सिर्फ़ इसी ख़याल से
कि होगी मुलाक़ात उनसे
ना थी भूख प्यास
बस यही थी आस
कि होगी उनसे मुलाक़ात
आँखें बोझिल थी दिल व्याकुल
पर था फिर भी सुकून
कि होगी मुलाक़ात उनसे
दूर से ही होंगे दीदार उनके
पर थी तसल्ली, की होगी मुलाक़ात उनसे
२० फ़रबरी २०१७
जिनेवा