तेरी तक़दीर का दोष नहीं
है मेरी क़िस्मत का क़सूर
तेरी तक़दीर में तो हम शामिल थे
हमारी क़िस्मत में मगर तेरा साथ ना था
तेरे नसीब ने तो मिलाया था हमें
हमारे मुक़द्दर ने ही तुझ से बिछड़ने पर मजबूर कर किया
ना तेरा ज़ोर चला अपने भाग्य पर
ना मैं अपनी नियति बदल पाया
अब तो इसी उम्मीद पर ज़िंदा हूँ
की कभी तो जोड़ेगा खुदा
तेरे मुक़द्दर को मेरी तक़दीर से
२१ मई २०१७
जिनेवा