रह गयी है दुनिया सिमट कर आजकल
बातें जो हुआ करती थी बैठ कर आमने सामने
वो व्हाट्सऐप पर चैट बन कर रह गयी हैं आजकल
मिलने जाते थे यारों के घर, घंटों गुज़रते थे हँसते ठहाके लगाते हुए
वो स्काइप पर कुछ मिनटों की लाईव बात बनकर रह गयी है आजकल
दोस्त जो दौड़ कर आया करते थे जो सुन कर एक पुकार
वो सलाह देते हैं ट्विटर पर कॉमेंट लिख कर आजकल
तस्वीरों को हमारी दिल से लगा कर रखते थे जो
वो लाइक कर देते हैं तस्वीरों को फ़ेस्बुक पर आजकल
दिल की बात जो समझ लिया करते थे नज़रों से
टेक्नॉलजी की भाषा ही समझते हैं वो आजकल
बोलते हैं इसे सोशल मीडिया
सोशल इसमें, कुछ नहीं है मगर
रह गयी है दुनिया सिमट कर आजकल
फ़ासले मगर बढ़ गए हैं आजकल
२७ जून २०१६
अबूज़ा