रातों में नींद तुम्हें भी कहाँ आती होगी
बंद करते होगे जब भी आँखें
तस्वीर हमारी ही नज़र आती होगी
महफ़िलों में हँस के मिलते होगे सबसे
नज़रें मगर हमें ही ढूँढती होंगी
क़द्रदानों के ख़त रोज़ पढ़ती होगी
लिफ़ाफ़ा, मगर, हमारे नाम का ही ढूँढती होगी
राह में मिलते होंगे साथी बहुत
नज़रें, हर मोड़ पर मगर, हमें ही ढूँढती होंगी
प्रशंसा करने वाले होंगे आस पास कई
तारीफ़ के दो लफ़्ज़ हमसे
तुम आज भी सुनना चाहती होगी
२१ मार्च 2017