होंठ मुस्कुरा रहे हैं
आँखें मगर रिस रही हैं
तुझे भूल गया हूँ
फिर भी तू याद है
परछाईं में अपनी
तेरा अक़्स ढूँढता हूँ
किया बहुत कुछ हासिल
मुफ़लिसी फिर भी छाई है
पूरे किए सपने सभी
ज़िंदगी मगर अधूरी है
होंठ हँस रहे हैं मगर
२६ मई २०१७
जिनेवा
27 मई 2017
होंठ मुस्कुरा रहे हैं
आँखें मगर रिस रही हैं
तुझे भूल गया हूँ
फिर भी तू याद है
परछाईं में अपनी
तेरा अक़्स ढूँढता हूँ
किया बहुत कुछ हासिल
मुफ़लिसी फिर भी छाई है
पूरे किए सपने सभी
ज़िंदगी मगर अधूरी है
होंठ हँस रहे हैं मगर
२६ मई २०१७
जिनेवा
bahu achcha hai
28 मई 2017