पलक झपकते ही
पलक झपकते ही
ओझल हो गया
था जो हक़ीक़त
अब सपना बन गया
रहता था साथ जो
अब याद बन गया
होती थी रोज़ गुफ़्तगू
अब ख़्याल बन गया
था हो बशर
अब रूह बन गया
पलक झपकते ही
ओझल हो गया
१ दिसंबर २०२०
दिल्ली
23 जनवरी 2021
पलक झपकते ही
पलक झपकते ही
ओझल हो गया
था जो हक़ीक़त
अब सपना बन गया
रहता था साथ जो
अब याद बन गया
होती थी रोज़ गुफ़्तगू
अब ख़्याल बन गया
था हो बशर
अब रूह बन गया
पलक झपकते ही
ओझल हो गया
१ दिसंबर २०२०
दिल्ली