कभी यूँ ही चल मेरे साथ में
ना हो रास्ते का डर
ना मंज़िल की ख़बर
ना हो रिश्तों का बंधन
ना समाज का डर
कभी यूँ भी चल मेरे साथ में
ना हो कोई उम्मीद
ना हो कोई फ़िक्र
ना हो कोई शिकवा
ना हो कोई गिला
कभी यूँ भी चल मेरे साथ में
थाम कर हाथ
आँखों में आँखें डाल कर
बस यूँही बेमक़सद
कभी, चल मेरे साथ में
४ जून २०१७
ऐम्स्टर्डैम