ज़िंदगी, मुट्ठी में पकड़ी रेत की तरह
फिसलती जा रही है
चल, आने वाले इन कुछ पलों को
साथ मिल कर जी ले
जो ना कहा एक दूसरे से वो कह लें,
है प्यार तुम से, फिर एक बार दोहरा ले
मिलती हो ख़ुशी जिस से,
चल मिलकर वो ही करें
बनकर एक दूसरे का आसरा
उम्मीदों को पूरा कर लें
दुनिया क्या कहेगी,
इसकी परवाह किए बिना
बस एक दूसरे के लिए जिएँ
चल, इन आने वाले पलों को
बस अपने लिए ही जिएँ
१६ जनवरी २०१८
जिनेवा