चाँदनी रात में सब साथ होते हैं
अंधेरे में मगर, परछाईं भी साथ छोड़ देती है
इसलिए तनहा जीने को तैयार रहता हूँ
कहने को हमसफ़र हैं कई
कौन किस मोड़ पर मगर, साथ छोड़ दे
इसलिए सफ़र ज़िंदगी का
अकेले ही काटने को तैयार रहता हूँ
दिलों जान से चाहने वाला दिलबर भी है
ना जाने मगर, किस बात पर दिल तोड़ दे
इसलिए, दिल के टुकड़े, बँटोरने को
तैयार रहता हूँ
१७ अप्रेल २०१७
जिनेवा