बन गए हैं तेरे ख़त ज़िंदगी का हिस्सा
तेरी ख़ुशबू आती है, ईत्र में डूबे इन ख़तों से
तेरी मुस्कुराती सूरत जो झलकती है इनमें
काफ़ी है दिन ख़ुशनुमा करने के लिए
हर लफ़्ज़ जो लिखा हैं इन काग़ज़ों पर
काफ़ी है तेरी याद ताज़ा रखने के लिए
रखे हैं तेरे ख़त संभाल के इसी उम्मीद से कि
पढ़ेंगे इन्हें कभी साथ तेरे, या फिर,
कट जाएगी ज़िंदगी इनके ही सहारे
२४ सितम्बर २०१६
जिनेवा