एहसास तेरा रहता है हर पल पास
तुझ से बिछुड़ कर भी नहीं जाती तेरी याद
तेरे चेहरे का नूर जगमगाता है आज भी इस घर को
तेरी हँसी चीरती है इसके सन्नाटे को आज भी
तेरे क़दमों की आहट सुनाई देती है आज भी
तेरी हर बात गुदगुदाती है हमें आज भी
दीवारें करती हैं तुझ से बातें आज भी
दो सूनी आँखें तेरा इंतज़ार करती हैं आज भी
जीने का ढंग तेरा आज हमारे जीने का तरीक़ा बन गया
एहसास तेरा रहता है हर पल पास
तुझ से बिछुड़ कर भी नहीं जाती तेरी याद
अबूज़ा
७/६/२०१६