छुप छुप के देखते हैं
वो हमको और हम उनको
जानते हैं वो भी और हम भी
सामने आ कर मगर
नज़रें मिला नहीं सकते
जानते हैं वो भी और हम भी
बिन कहे बहुत कुछ कहते हैं
वो भी और हम भी
लफ़्ज़ों में बयान कर नहीं सकते जसबाद
जानते हैं वो भी और हम भी
दिलों की दूरियाँ मिटाने चाहते हैं
वो भी और हम भी
मगर इन फ़ासलों को मिटाना
है नामुमकिन
जानते हैं वो भी और हम भी
२५ अगस्त २०१७
अबूज़ा