बहकने लगते हैं क़दम तेरे नज़दीक आकर
उमड़ने लगते हैं ज़स्बाद तेरे नज़दीक आकर
लड़खड़ाने लगती है ज़ुबान तेरे नज़दीक आकर
झुक जाती है नज़र तेरे नज़दीक आकर
कांपने लगते हैं लब तेरे नज़दीक आकर
शिथिल हो जाते हैं हाथ तेरे नज़दीक आकर
हो जाते हैं ख़ुशगँवार दिन और रात तेरे नज़दीक आकर
भर जाती है जीवन में तरंग तेरे नज़दीक आकर
शायरी बन निकलने लगते हैं ख़यालात
तेरे नज़दीक आकर
२९ जनवरी २०१७
जिनेवा