तेरे सवालों के जवाब नहीं हैं पास मेरे
मगर मेरे हर सवाल का जवाब है तू
तेरे ज़ख़्मों का मरहम नहीं है पास मेरे
मगर मेरे हर मर्ज़ का इलाज है तू
तेरी हर इल्तिजह की सौग़ात नहीं मैं
मगर मेरी हर आरज़ू का अंज़ाम है तू
तेरी तलाश का मुक़ाम नहीं मैं
मगर मेरी हर जुस्तजु का उद्देश है तू
तेरे सफ़र का साथी नहीं मैं
मगर मेरी ज़िंदगी का पड़ाव है तू
२५ दिसम्बर २०१५
दिल्ली