रतन नवल टाटा जी की
समाचार पत्र के अनुसार
रतन टाटा, एक ऐसा नाम जिसे आज पूरी दुनिया सम्मान से देखती है। उद्योग जगत में अपनी सादगी, नैतिकता, और दूरदर्शिता के लिए जाने जाने वाले रतन टाटा जी की ज़िंदगी का एक ऐसा पहलू है जिसे कम ही लोग जानते हैं—उनकी अधूरी प्रेम कहानी।
यह उस समय की बात है जब रतन टाटा अमेरिका में अपनी पढ़ाई और करियर की शुरुआत कर रहे थे। वहां उनकी मुलाकात एक सुंदर और संवेदनशील महिला से हुई, जिसके साथ उनकी दोस्ती जल्द ही गहरे प्रेम में बदल गई। वह महिला एक अमेरिकी थी, और दोनों के बीच का यह प्यार सच्चा और गहरा था। रतन टाटा ने अपनी ज़िंदगी का हर सपना उसी के साथ जोड़ लिया था। दोनों शादी करने का भी विचार कर रहे थे।
लेकिन, जैसा कि जीवन में अक्सर होता है, कुछ परिस्थितियां ऐसी बनीं जिन्होंने इस प्रेम कहानी को अधूरा छोड़ दिया। उसी दौरान, रतन टाटा को भारत वापस लौटने का निर्णय लेना पड़ा क्योंकि उनकी दादी की तबीयत बहुत खराब हो गई थी। वे भारत लौट आए, लेकिन उम्मीद थी कि हालात सुधरने पर उनकी प्रेमिका भी उनके साथ भारत आकर शादी करेगी।
परंतु, इस प्रेम कहानी का मोड़ कुछ और ही था। जैसे-जैसे समय बीतता गया, हालात और मुश्किल होते गए। भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती दूरियां, पारिवारिक ज़िम्मेदारियाँ, और दोनों देशों की भिन्न संस्कृतियों ने उनके रिश्ते को और भी जटिल बना दिया। रतन टाटा की प्रेमिका ने भारत आने की कोशिश की, लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के चलते उनके परिवार ने उसे इस कठिन समय में भारत जाने से मना कर दिया। इस वजह से उनका रिश्ता एक अनकहे समझौते की तरह वहीं थम गया।
रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की, और शायद इस अधूरी प्रेम कहानी का दर्द उन्होंने अपने दिल में हमेशा छिपाए रखा। जब भी उनसे इस बारे में पूछा गया, वे हमेशा मुस्कुराते हुए कहते, "जीवन में कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो पूरी नहीं हो पातीं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे कम महत्वपूर्ण होती हैं।"
यह प्रेम कहानी अधूरी रह गई, लेकिन इससे रतन टाटा के दिल की कोमलता और संवेदनशीलता झलकती है। उनकी ज़िंदगी में यह अधूरापन ही शायद उनकी प्रेरणा बना, जिससे उन्होंने अपनी ज़िंदगी का हर दूसरा पहलू संपूर्ण और सफल बना दिया। चाहे वह टाटा ग्रुप का नेतृत्व हो, समाज सेवा हो, या लाखों लोगों की मदद करना—उनकी हर कोशिश में एक निस्वार्थ प्रेम और समर्पण की झलक मिलती है।
रतन टाटा जी की यह अधूरी प्रेम कहानी उनकी ज़िंदगी का एक ऐसा हिस्सा है, जो भले ही कभी पूरा न हुआ हो, लेकिन उनके जीवन के हर पहलू में गहरे तक बसा हुआ है।
स्वरचित डॉक्टर विजय लक्ष्मी