देखो श्री कृष्ण जन्माष्टमी आई
संग अपने खुशी की बहार लाई
द्वापर,कान्हा का जन्म हुआ था
सृष्टि में प्रेमी नवसंचार हुआ था
यशोदा के लल्ला, ब्रज के राज
गोपियों के संग रचे कैसे काज
मुरली की धुन में बंधी थी प्रीत
सुदामा के दिल बस उनकी मीत
रास रचाया,मामा कंस को हराया
धर्म की राह पर सच्चाई सिखाया
जब धर्म की हो हानि,हमें संवारते
महाभारत,अर्जुन को गीता सुनाते
अष्टमी रोहणी नक्षत्र पावस दिन
हर हृदय है उल्लास भक्ति रिन
कृष्ण राधा के ईश्वर के अवतारी
योगेश्वरी माया में समाया संसारी
माखन चुराने वाले, गायों के ग्वाले
हे गोविंद ,मोहन खेलो नदी-नाले
जन्माष्टमी पर झूले में तुम्हें झुलाएं
मधुर भक्ति गीतों से हैं मन बहलाएं
नवचेतना, नवप्रभा का संचार करो
हे माधव ,आशीष से भव पार करो
आपकी कृपा से सब हों संकट दूर
भक्तों के जीवन में नये भोर सुरूर
स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी