छठ पूजा की पौराणिक कथा और इसकी परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस पर्व का संबंध मुख्य रूप से सूर्य देवता और छठी मइया की पूजा से है। इस पूजा की कई पौराणिक कथाएँ हैं, जिनमें से प्रमुख हैं। सूर्य ऊर्जा, आत्मा और पिता के कारक जैसे एक पिता बच्चों के लिए आसमान होता है। सूर्य ग्रह के सभी नक्षत्रों के राजा होते हैं , इनके द्वारा सभी नक्षत्रों को प्रकाशित किया जाता है। सूर्य के पास सभी अधिकार हैं: विज्ञान, वैध, राज-सत्ता सेवा, राजसी भव्यता, अमीर लोग, वैभवशाली यश व सम्मान, शान-बान, धार्मिकता, सात्विकता, जंगल या पहाड़ की यात्रा, आत्मा, पिता, आरोग्यता, प्रशासन।
1. महाभारत की कथा:
एक कथा के अनुसार, महाभारत में छठ पूजा का उल्लेख है। जब पांडव अपना सारा राज्य जुए में हार गए थे, तब द्रौपदी ने अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए छठ व्रत किया था। इसके प्रभाव से पांडवों को उनकी खोई हुई प्रतिष्ठा और समृद्धि पुनः प्राप्त हुई।
2. रामायण की कथा:
एक अन्य कथा के अनुसार, जब भगवान राम और माता सीता, रावण का वध कर अयोध्या लौटे थे, तब उन्होंने कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन सूर्य देवता की आराधना कर और व्रत रखकर आशीर्वाद प्राप्त किया था। इस घटना से यह व्रत लोकप्रिय हुआ और इसे छठ पूजा के रूप में मनाया जाने लगा।
3. सूर्य देवता और छठी मइया की कथा:
पौराणिक मान्यता के अनुसार, सूर्य देवता की बहन छठी मइया हैं। इस दिन सूर्य देवता और छठी मइया की उपासना कर उनके आशीर्वाद से संतान सुख, समृद्धि, और आरोग्यता की प्राप्ति होती है।
4. प्राचीन ऋषियों की कथा:
प्राचीन काल में ऋषि-मुनि बिना अन्न-जल ग्रहण किए सूर्य की किरणों से ऊर्जा प्राप्त करते थे। यह साधना "षष्ठी" की देवी के प्रति समर्पण थी, जिसे "छठी मइया" कहा गया। उनकी कृपा से यह पर्व लोकप्रिय हो गया और इसे छठ पूजा के रूप में मनाया जाने लगा।
छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य
सूर्य देवता से ऊर्जा, शक्ति, और स्वास्थ्य की कामना करना है। इस पर्व के दौरान भक्तगण चार दिनों तक निर्जल व्रत रखकर शाम और सुबह के समय डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
स्वरचित डा० विजय लक्ष्मी