सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के उसूलों से
खुशबू आ नहीं सकती कभी कागज के फूलों से
दुश्मन फिल्म का यह गीत आज भी सटीक बैठता है ।
एक छोटे से गाँव में कमला नाम की एक बुजुर्ग महिला अपने बेटे राजेश और बहू सुमन के साथ रहती थी। अकेली कमला ने अपनी पूरी ज़िन्दगी अपने बेटे के लिए समर्पित कर दी थी। पिता तो 2 साल की उम्र में उसे छोड़कर एक दूसरी औरत के साथ रहने लगा था मेहनत मजदूरी करके कमला ने उसे अच्छे संस्कार दिए और एक अच्छी पत्नी खोजने में मदद की। सुमन, एक पढ़ी-लिखी और समझदार लड़की थी, परिवार में आई और शुरुआत में सब कुछ अच्छा चल रहा था।
समय बीतने के साथ, सुमन ने महसूस किया कि उसकी सास, कमला, घर के सारे फैसले लेती हैं और घर की व्यवस्था भी उन्हीं के अनुसार चलती है। राजेश अपनी मां से पूंछ कर ही काम करता उसे यह पसंद नहीं आया और धीरे-धीरे उसने राजेश से अपनी सास के खिलाफ बातें बनानी शुरू कर दीं। वह राजेश को बताने लगी कि उसकी माँ उसके साथ बुरा बर्ताव करती है, ताने मारती है और उसे नीचा दिखाने की कोशिश करती है साथ इतना तक कहा कि उसकी मां उसे भड़काती है पर कमला फिर भी चुप रही।
राजेश, अपनी पत्नी की बातें सुनकर अपनी माँ से दूर होने लगा। उसे विश्वास होने लगा कि उसकी माँ सचमुच उसकी पत्नी को प्रताड़ित कर रही है। उसने अपनी माँ से बात करना भी कम कर दिया और कई बार गुस्से में उसे डांट भी देता। बार-बार बोला गया झूठ भी सत्य दिखने लगता है ।
कमला इन सब बातों से बहुत दुखी हो गई। उसने सुमन से पूछने की कोशिश की कि आखिर उसने क्या गलत किया है, लेकिन सुमन हमेशा कुछ बहाना बना देती। कमला को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसका बेटा, जिसे उसने इतनी ममता से पाला था, क्यों उसे गलत समझने लगा। वह बेबस हो गई, क्योंकि उसके पास अपनी निर्दोषता सिद्ध करने का कोई तरीका नहीं था।
एक दिन ऐसा हुआ कि सुमन की एक सहेली उससे मिलने आई और दोनों बातें कर रही थीं। सुमन ने गर्व से बताया कि कैसे उसने झूठी कहानियाँ गढ़कर अपनी सास को अपने बेटे से दूर कर दिया है। वह कह रही थी, "राजेश अब मेरी हर बात मानता है, अपनी माँ की कोई बात सुनता ही नहीं ।"
यह बात कमला की एक पड़ोसन ने सुन ली, जो उसी समय वहाँ आई हुई थी। उसने यह सब सुनकर तुरंत कमला को बताया। कमला ने यह बात राजेश तक पहुंचाने का फैसला किया, लेकिन उसे यह भी पता था कि अगर वह सीधे बताएगी, तो शायद राजेश फिर से उस पर विश्वास नहीं करेगा।
कमला ने एक योजना बनाई। उसने अपनी पड़ोसन को राजेश के सामने यह सब बात बताने के लिए कहा, क्योंकि पड़ोसन निष्पक्ष थी और उसका कोई स्वार्थ नहीं था। एक दिन, जब राजेश घर पर था, कमला की पड़ोसन आई और उसने राजेश के सामने वही बात दोहराई जो उसने सुमन की बातचीत में सुनी थी।
राजेश को यह सुनकर गहरा धक्का लगा। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसने बिना सबूत के अपनी माँ को गलत समझा और उसकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई। उसने अपनी माँ से माफी मांगी और वादा किया कि अब वह कभी भी किसी बात की सच्चाई जाने,बिना सोचे-समझे निर्णय नहीं लेगा।
सुमन को भी अपनी गलती का पछतावा हुआ, उसे भी समझ आ गया था कि झूठ के पर नहीं होते एक न एक दिन सच्चाई आ ही जाती है ।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चाई छुपाई नहीं जा सकती और चाहे कितने भी झूठ गढ़े जाएँ, अंत में सच्चाई ही सामने आती है। बिना सबूतों के भी अगर व्यक्ति सच्चा है, तो समय उसकी सच्चाई की गवाही देता है।