शरद पूर्णिमा की रात को विशेष महत्व दिया जाता है क्योंकि यह शीतलता और समृद्धि का प्रतीक है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस रात को चंद्रमा की किरणें इतनी सशक्त व निर्मल होती हैं की अमृत वर्षा होना कहा जाता है।
चाँदनी जब ओढ़े स्नेह की चादर,
शरद पूर्णिमा का आए ये त्योहार।
सप्तमी के बाद पूर्ण चाँद का हर्ष,
धरती पर बिखरे ठंडक का स्पर्श।
दूध में जैसे होती अमृत की फुहार,
रात ये होती है स्वास्थ्य की पुकार।
गगन में चमकते तारों की कतार,
प्रकृति भी गाए मधुर प्रेम-संस्कार।
सफेद रश्मियाँ देतीं चाँद का प्यार,
मिटाए तन-मन के सभी अंधकार।
शरद की इस मधुर पूर्णिमा की रात,
स्वप्न सजीव ,संस्कारों की सौगात।
धरा और गगन के मिलन का ये पर्व,
मन की गहराईयों से जोड़े हम गर्व।
शीतल चाँदनी में बसे सुख-समृद्धि,
शरद पूर्णिमा में हो जीवन की वृद्धि।
स्वरचित डॉ विजय लक्ष्मी