छोटे घर की खुशबू में, सजीव सपने पलते हैं,
प्याले में चाय की चुस्की, मीठे लम्हे मिलते हैं।
सादगी से सजी टेबल, और मेहनत की महक,
हर चीज़ में दिखती है, अपनत्व की ये झलक।
दोपहर की गर्मी में, बुनते हैं सुख-दुख के धागे,
बच्चों की हंसी में छिपे, लुका-छिपी पीछे भागें।
सपनों की किताब में, पन्ने पुराने, मगर प्यारे,
हर पल के त्याग से, जीवन को संवारते सारे।
धागे बुनते हाथ, स्नेह की रंगीन संवेदी चुनरी,
मिल-बांट का आनन्द,सुख-संवेदन की महक।
सपनों की तरह हैं ये, छोटे-छोटे लेकिन सच्चे,
मध्यम वर्गीय परिवार के,घर भले ही हों कच्चे
साधनों की सीमा में, भले ही सीमित हो घर,
सपनों की ऊँचाई में, हैं वो अनंत और ऊपर।
हर दिन की मेहनत, और हर रात की नींद,
मध्यम वर्गीय जीवन की,यही सुखद उम्मीद।
मध्यम वर्गीय परिवार होते हैं साधारण प्रेमभरे लेकिन गहरी खुशी और संघर्ष को व्यक्त करें
।स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी